■ 1998 की बाढ़ झेलने वाली मेंहदावल पूर्वीय – उत्तरीय कछार क्षेत्र की जनता बंधे की हालत देखकर भयभीत
संतकबीरनगर
मेंहदावल । बरसात शुरू होते ही बाढ़ की आहट व करमैनी पुल के पास नदी की कटान से एक तरफ जहां कछार वासियों की नींद हराम हो गई है वहीं विभागीय उदासीनता से बंधे की मरम्मत व बाढ़ से बचाव की तैयारियां अभी पूर्ण रूप से पूरी नही की जा सकी हैं। 19.2 किमी लंबे बंधे पर बरसात शुरू होते ही रेनकट की भरमार हो गई है। उखड़े बोल्डरों व बांध पर सड़क की मरम्मत न कराए जाने से स्थिति बदहाल हो गई है। कछार क्षेत्र के दर्जनों गांवों की आबादी के जान माल की सुरक्षा भगवान भरोसे होकर रह गई है।
19 किलोमीटर लंबा मेंहदावल के कछार में स्थित करमैनी-बेलौली बांध पर जगह-जगह रेनकट और रैटहोल है। कई जगहों पर बंधा काफी कमजोर हो गया है। आने जाने वाले मुख्य मार्गों पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। अभी तक इन रेनकट को भरने का प्रयास शुरू नहीं किया गया है, इससे आने वाले समय में लोगों को काफी परेशानी हो सकती है। हालांकि बांध के आसपास मिट्टी की पटाई का कार्य तेजी के साथ हो रहा है। बोरी डालकर ठोकर को मजबूत किया जा चुका है।
बढ़या के पास कुछ जगहों पर रेनकट भरने के लिए मिट्टी भी डाली गई है। बांध पर पिछले एक पखवारे से मिट्टी पटान का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन अभी भी काफी स्थानों पर रेनकट व रैटहोल मौजूद हैं। खैरा माता मंदिर के पास नदी के पेट में बालू डालकर बांध बनाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहली बारिश ने ही लापरवाही की पोल कर रख दी है। बीते वर्ष नदी का जलस्तर खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रहा था। जिससे ग्रामीणों में बाढ़ आने की आशंका बढ़ गई थी। कुछ लोगों ने तो घर से पलायन भी करना शुरू कर दिया था। प्रशासन व पुलिस भी लगातार सक्रिय थी, लेकिन अंतिम समय में पानी खतरे के निशान से नीचे हो गया जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। पिछले वर्ष की समस्या को देखते हुए इस बार ड्रेनेज खंड ने बांध की मजबूती के लिए पहले से ही प्रयास किया, लेकिन कार्य पूरी तरह से संतोषजनक नहीं दिखाई देता है। ग्रामीणों ने तेजी से रेनकट भरने व बांध को मजबूत बनाने की मांग की है। उपजिलाधिकारी योगेश्वर सिंह ने कहा कि बांध की मजबूती के लिए लगातार कार्य हो रहा है। मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा। जहां कहीं भी गड्ढे मौजूद हैं उन्हें भरने का निर्देश दिया जाएगा।