माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अधिवक्ता प्रिन्स श्रीवास्तव ने संविधान दिवस के अवसर पर कहा कि भारतीय संविधान भारतीय नागरिकों का पवित्र ग्रन्थ है एवं संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी समस्त शक्तियों का स्त्रोत भी है। हमारा संविधान जाति, वर्ग, धर्म और लिंग, हर भेद से परे, सभी को अवसर एवं जीवन की समानता का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह आज 26 नवम्बर का दिन भी देश के जनमानस के लिये पवित्र और पूजनीय दिवस है।
72 वर्षो से भारतीय संविधान ने बार-बार अपनी श्रेष्ठता एवं अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। भारतीय संविधान में हमारे संविधान निर्माताओं की दूर-दृष्टि का समावेश है। यह सोचें कि कैसे 72 वर्ष पूर्व भी उन्होने इतने बड़े देश को दिशा दिखाने वाले ग्रन्थ की रचना की होगी तो मन श्रद्धा से भर जाता है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डा. बी.आर. आंबेडकर ने कहा था कि संविधान सिर्फ वकीलों का दस्तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन-साधना है और इसकी भावना युग की भावना है। उन्होंने प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद एवं डा. आंबेडकर सहित सभी संविधान निर्माताओं को नमन किया।