सिद्धार्थनगर। बीते रात को डुमरियागंज में आयोजित अमरगढ़ महोत्सव में नृत्यांजलि फाउंडेशन एवं संस्था भरत रंग लखनऊ से आए 30 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया। दर्शकों से खचाखच भरे कार्यक्रम प्रांगण में सैकड़ों लोगों ने खड़े होकर प्रस्तुति को देखा और खुले मन से संकल्प के इस प्रयास की सराहना की । लगभग डेढ़ घंटे की इस नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से 1858 के अमरगढ़ की क्रांति को मंच पर जीवंत कर दिया। कलाकारों के अभिनय का जादू दर्शकों पर इस कदर हावी हो गया कि कलाकारों के साथ दर्शक भी भारत माता की जय और अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लगाने लगे ।
दर्शकों नही रोक पाये आंसू, सबकी आंखे हुई नम
नाटक में कुछ पल ऐसे आए कि लोग अपने आंखों को नम होने से नहीं रोक पाए। विशेष रूप से अमरगढ़ में बाला राव सहित सैकड़ों लोगों के शहादत का दृश्य और राप्ती तट पर 80 से अधिक लोगों के शहादत के दृश्य ने दर्शकों को रूला दिया। क्रांतिकारियों पर कैप्टन कैडूलस की अमानवीय क्रूरता और भारतीयों के मूछ का एक एक बाल उखाड़ने वाले अंग्रेज अफसर की क्रूरता ने दर्शकों को विचलित कर दिया। वहीं कार्यक्रम के अंत में कामरान रिजवी(हल्लौरी) द्वारा तिरंगा फहराने वाले दृश्य ने गर्व से भर दिया। दर्शकों ने जमकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए।