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"गणेश" का गुडलक जारी : "अनिल-अंकुर" ने डुबो दी पार्टी की लुटिया - Satyamev Times Media Network.
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संतकबीरनगर -नगर निकाय चुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ दल बीजेपी के लिए कुछ खास नही रहे, नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को बुरी हार मिली, जिले में बीजेपी के लिए अपने नाम के अनुरूप शुभ करने वाले विधायक गणेश चंद चौहान के जरिए ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक शुभ समाचार पहुंचा। सफाईकर्मी से विधायक बने गणेश के गुडलक के कारण पार्टी ने हरिहरपुर और हैसर नगर पंचायत की सीट पर जीत दर्ज की। वहीं जिले के दो विधायकों ने पार्टी की लुटिया ही डुबो दी, दोनो के क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों की बुरी हार हुई। शहर की हॉट शीट समेत मगहर, बखिरा, बेलहर, मेंहदावल, धर्मसिंहवा में पार्टी कैंडिडेट बुरी तरह से हारे। रूलिंग पार्टी का विधायक रहने के बाबजूद मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी और सदर विधायक अंकुर राज त्रिपाठी जनता का दिल नहीं जीत पाए, जनता ने दोनो को नकार दिया, इन दोनो विधायकों का जनसंपर्क अभियान धरा का धरा रह गया। शहर की सीट और मगहर की सीट पर जीत का जिम्मा विधायक अंकुर राज तिवारी के कंधो पर था लेकिन वो इस भार को अपने कंधो पर उठा नही सके जिसके चलते प्रत्याशी श्याम सुंदर वर्मा जहां बड़े अंतरों से चुनाव हार गए वहीं मगहर की प्रत्याशी संगीता वर्मा निर्दलीय उम्मीदवारों से पीछे रहीं, उन्हे तीसरे नंबर पर रहना पड़ा। कमोवेश यही स्थिति मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी की रही। सत्ता की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी से विधायक बने अनिल त्रिपाठी निषाद वोटरों को पार्टी के पक्ष में मोड़ नही सके जिसके कारण बीजेपी को बखिरा, बेलहर, मेंहदावल और धर्मसिंहवा में बड़ी हार का सामना करना पड़ा। राजनीति में बड़बोलापन हमेशा नुकसानदेह ही होता है, शायद दोनो का बड़बोलापन ही पार्टी की हार का कारण बना हो? खैर अब जो बीत गया सो बीत गया, दोनो को अब आत्मचिंतन की जरूरत है, गलतियां कहां कहां हुई ये सोचने की जरूरत है, ऐसी गलतियों को सुधारने का अभी बहुत वक्त इन दोनो माननीयों के पास है। राजनीति में विनम्रता बड़े मायने रखती है, जो नेता कार्यकर्ताओं और जनता से विनम्र व्यवहार रखता है उन्हे ही सफलता मिलती है ये बात दोनो माननीयों को गांठ बांधकर रख लेनी चाहिए। खुद की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर दिन रात एक करने वाले दोनो विधायक न तो अपनी प्रतिष्ठा बचा पाए और न ही पार्टी की। शुक्र इस बात का है कि विधायक गणेश के गुडलक के चलते पार्टी को दो सीटों से जीत नसीब हुई अन्यथा बीजेपी की जिले में और अधिक फजीहत होती।

“गणेश” का गुडलक जारी : “अनिल-अंकुर” ने डुबो दी पार्टी की लुटिया

 

संतकबीरनगर -नगर निकाय चुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ दल बीजेपी के लिए कुछ खास नही रहे, नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को बुरी हार मिली, जिले में बीजेपी के लिए अपने नाम के अनुरूप शुभ करने वाले विधायक गणेश चंद चौहान के जरिए ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक शुभ समाचार पहुंचा। सफाईकर्मी से विधायक बने गणेश के गुडलक के कारण पार्टी ने हरिहरपुर और हैसर नगर पंचायत की सीट पर जीत दर्ज की। वहीं जिले के दो विधायकों ने पार्टी की लुटिया ही डुबो दी, दोनो के क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों की बुरी हार हुई। शहर की हॉट शीट समेत मगहर, बखिरा, बेलहर, मेंहदावल, धर्मसिंहवा में पार्टी कैंडिडेट बुरी तरह से हारे। रूलिंग पार्टी का विधायक रहने के बाबजूद मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी और सदर विधायक अंकुर राज त्रिपाठी जनता का दिल नहीं जीत पाए, जनता ने दोनो को नकार दिया, इन दोनो विधायकों का जनसंपर्क अभियान धरा का धरा रह गया। शहर की सीट और मगहर की सीट पर जीत का जिम्मा विधायक अंकुर राज तिवारी के कंधो पर था लेकिन वो इस भार को अपने कंधो पर उठा नही सके जिसके चलते प्रत्याशी श्याम सुंदर वर्मा जहां बड़े अंतरों से चुनाव हार गए वहीं मगहर की प्रत्याशी संगीता वर्मा निर्दलीय उम्मीदवारों से पीछे रहीं, उन्हे तीसरे नंबर पर रहना पड़ा। कमोवेश यही स्थिति मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी की रही। सत्ता की सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी से विधायक बने अनिल त्रिपाठी निषाद वोटरों को पार्टी के पक्ष में मोड़ नही सके जिसके कारण बीजेपी को बखिरा, बेलहर, मेंहदावल और धर्मसिंहवा में बड़ी हार का सामना करना पड़ा। राजनीति में बड़बोलापन हमेशा नुकसानदेह ही होता है, शायद दोनो का बड़बोलापन ही पार्टी की हार का कारण बना हो? खैर अब जो बीत गया सो बीत गया, दोनो को अब आत्मचिंतन की जरूरत है, गलतियां कहां कहां हुई ये सोचने की जरूरत है, ऐसी गलतियों को सुधारने का अभी बहुत वक्त इन दोनो माननीयों के पास है। राजनीति में विनम्रता बड़े मायने रखती है, जो नेता कार्यकर्ताओं और जनता से विनम्र व्यवहार रखता है उन्हे ही सफलता मिलती है ये बात दोनो माननीयों को गांठ बांधकर रख लेनी चाहिए। खुद की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर दिन रात एक करने वाले दोनो विधायक न तो अपनी प्रतिष्ठा बचा पाए और न ही पार्टी की। शुक्र इस बात का है कि विधायक गणेश के गुडलक के चलते पार्टी को दो सीटों से जीत नसीब हुई अन्यथा बीजेपी की जिले में और अधिक फजीहत होती।

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