जातीय समीकरण को साध पार्टी प्रत्याशी को दिलाई बड़ी जीत
एक दौर था जब एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बना और आज एक दौर ये भी आया कि एक सब्जी बेचने वाली महिला नगर पंचायत की अध्यक्षा बनी। पूरा मामला यूपी के संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल नगर पंचायत सीट की करते हैं जहां पर सपा के सिंबल पर एक सब्जी बेचने वाली महिला ने विपक्षियों को नगर निकाय चुनाव में बुरी तरह से हराया और नगर पंचायत की अध्यक्षा बनी। नाम है श्रीमती लक्ष्मी निषाद पति रमेश निषाद।
लक्ष्मी की जीत की इबारत लिखने में जिस नेता का सबसे अहमद रोल माना जा रहा है वो हैं समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी संतोष यादव सनी, पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्व एमएलसी संतोष यादव सनी ने पहले एक सब्जी बेचने वाली महिला को पार्टी से टिकट दिलाया फिर उसकी जीत तय करने के लिए मेंहदावल में ही खूंटा गाड़कर बैठ गए। जिले की राजनीति के रिंग मास्टर कहे जाने वाले पूर्व एमएलसी सनी यादव ने लक्ष्मी की जीत के लिए एक ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमे विपक्षी पूरी तरह से फंस गए, सनी की राजनैतिक चाल ही कुछ ऐसी थी कि विपक्षी उस मछली के समान पूरे चुनाव में फड़फड़ाते दिखे जिसे मानो पानी से निकाल कर बाहर कर दिया गया हो। पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के साथ जनता को विकास का भरोसा देने वाले पूर्व एमएलसी सनी को जातीय आंकड़ों की समझ थी, कोर वोटर्स को अपने साथ पहले से ही ला चुके सनी यादव ने निषाद वोटों में जो सेंधमारी की उसे देख निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सरकार में मंत्री डॉक्टर संजय निषाद भी घबड़ा गए थे और अपने विधायक के साथ मेंहदावल में डेरा डाल सजातीय वोटरों को साध रहे थे, लेकिन निषाद समुदाय ने डॉक्टर संजय निषाद की एक नही मानी और पूर्व एमएलसी सनी के साथ डटे रहे जिसका परिणाम यह रहा कि सपा उम्मीदवार लक्ष्मी को मेंहदावल में बड़ी जीत मिली। पार्टी प्रत्याशी की ये जीत मेंहदावल में समाजवादी पार्टी की यह पहली जीत है। नगर पंचायत मेंहदावल सीट पर सपा ने कभी जीत दर्ज नही की थी, पार्टी की ये जीत पूर्व एमएलसी के करिश्माई नेतृत्व की ही देन माना जाएगा जिन्होंने अपने बेहतर सूझबूझ और कुशल चुनाव प्रबंधन के जरिए पार्टी का झंडा यहां पर गाड़ने में सफलता पाई। पार्टी प्रत्याशी की जीत के बाद उन्होने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ये जीत हमारी पार्टी की एकजुटता की जीत है, ये जीत निष्ठावान कार्यकर्ताओं के मेहनत की जीत है, ये जीत उन आवेदकों की जीत है जो टिकट न मिलने के बाबजूद कोई बगावत नही की और पार्टी की नीतियों, पार्टी की विचारधारा के साथ चलते हुए पूरे मन से चुनाव में लगे रहें, ये जीत जनता की जीत है। जनता भाजपा को नकार चुकी है, कर्नाटक के नतीजे ये संकेत दे दिए हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सफाया होना तय हैं।