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फिक्स डिपाजिट का भुगतान न करना स्टेट बैंक को पड़ा महंगा - Satyamev Times Media Network.
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फिक्स डिपाजिट का भुगतान न करना स्टेट बैंक को पड़ा महंगा

  • जिला उपभोक्ता आयोग ने अधिवक्ता अन्जय कुमार श्रीवास्तव के बहस पर सुनाया फैसला
    संतकबीरनगर : शर्तों के अनुरुप सावधि जमा का भुगतान न करना भारतीय स्टेट बैंक को महंगा पड़ गया। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह, सदस्य सुशील देव व श्रीमती संतोष ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक शाखा खलीलाबाद के खिलाफ फैसला सुनाते हुए गायबशुदा प्रपत्र के सावधि जमा का भुगतान चक्रवृद्धि ब्याज समेत करने के साथ रुपये 35 हजार अतिरिक्त भुगतान करने का आदेश दिया है।
    कोतवाली खलीलाबाद थानाक्षेत्र के बंजरिया पश्चिमी मोहल्ला निवासी जयप्रकाश श्रीवास्तव ने अपने अधिवक्ता अन्जय कुमार श्रीवास्तव के माध्यम से मुकदमा दाखिल कर कहा कि उन्होंने दिनांक 10 जुलाई 2006 को तीन माह के लिए सावधि जमा के दो खाते में रुपये क्रमशः 15 हजार व 10 हजार तीन माह के लिए जमा किया था जिसका भुगतान पांच प्रतिशत ब्याज के साथ होना था। रुपये 15 हजार की रसीद कहीं गुम हो गई जिसके सम्बंध में उन्होंने मुकामी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराया। रुपये 10 हजार के परिपक्वता धनराशि का भुगतान उनके खाते में 14 वर्ष के बाद दिनांक 13 जुलाई 2020 को 2.5 प्रतिशत ब्याज के साथ किया गया। दूसरे सावधि जमा के भुगतान देने से बैंक द्वारा यह कहते हुए मना कर दिया गया कि उसका कोई रिकार्ड उनके पास नही है। उनके द्वारा कई जगह शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही नही हुई। थक-हारकर मुकदमा दाखिल करना पड़ा।
    न्यायालय ने पत्रावली पर दाखिल प्रपत्रों व साक्ष्यों का अवलोकन करने तथा अधिवक्ता के बहस को सुनने के उपरांत स्टेट बैंक शाखा खलीलाबाद के खिलाफ फैसला सुनाया है। गायबशुदा सावधि जमा के प्रपत्र के धनराशि का भुगतान पांच प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज के साथ करने तथा 2.5 प्रतिशत भुगतान किए गए धनराशि का पुनर्मूल्यांकन कर उसे भी पांच प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज का 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही 35 हजार क्षतिपूर्ति के रुप में अदा करना होगा।

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