२०१५ से बंद पड़ी सुगर मिल की तस्वीर(फाइल फोटो)
एसडीएम सदर और पुलिस से वार्ता करते सपा नेता और किसान
2015 से बंद पड़ी यूपी के संतकबीरनगर जिले की खलीलाबाद शुगर मिल एक बार फिर चर्चा में है। ये चर्चा मिल के चालू होने से नही जुड़ा बल्कि मिल के लिए अपनी जमीन लीज पर देने वाले किसानों से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1939 में शहर कोतवाली क्षेत्र के दुघरा गांव के किसानों ने मिल स्थापना को लेकर अपनी जमीनें खलीलाबाद शुगर मिल प्रबंधन को शर्तो के आधार पर दी थी। स्थापना के वक्त किसानों और मिल प्रबंधन के बीच इस बात पर सहमति बनी थी 99 साल के लिए जमीन पट्टे के तौर पर दी जा रही है जिसका मिल प्रबंधन किराया देगा। वर्ष 2015 तक यह मिल चली फिर किसी कारण बस अथवा सरकारों की उदासीनता के चलते बंद हो गई। इधर वो किसान जो अपनी जमीन 99 साल के लिए लीज पर दी थी उसपर जब अपना कब्जा करना चाहे तो पता चला कि इस जमीन को मिल प्रबंधन ने फ्राड कर अपने नाम कर दूसरों को बेच दिया है, इस बात की जानकारी होने पर किसानों के पैरों तले से मानो जमीन ही खिसक गई। मिल प्रबंधन के फ्राड से दुखी किसान फिलहाल कोर्ट की शरण में है, जमीन मामले को लेकर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है लेकिन इसी बीच सुगर मिल प्रबंधन द्वारा पूर्व में बेची गई बेशकीमती जमीन को अब प्लाटिंग कर जब बेचे जाने लगा तब किसानों ने लड़ाकू सपा नेता पूर्व विधायक जय चौबे और पूर्व विधान सभा प्रत्याशी जयराम पांडेय के पास मदद के लिए पहुंचे। सपा के इन दोनो बड़े नेताओं के साथ चीनी मिल गेट पर धरना देने पहुंचे किसानों ने मीडिया से अपनी आप बीती बताई। इधर सुगर मिल गेट पर किसानों और सपा नेताओं के पहुंचने की सूचना पाकर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे एसडीएम सदर शैलेश दूबे ने सपा नेताओं और किसानों से बातचीत कर उन्हे ये भरोसा दिलाया कि किसानों के साथ अन्याय नहीं होने पाएगा। पूरे मामले को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व विधायक जय चौबे ने कहा कि शासन प्रशासन में बैठे कुछ लोग किसानों की जमीनो को हड़पने की साजिश रच रहें है, जो जमीन किसानों ने मिल प्रबन्धन को लीज पर दे रखा था उसे कैसे बेच दिया गया? किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया गया है, उनके साथ अन्याय हुआ है। ये सब सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों के द्वारा किया गया है। सुगर मिल की जमीन के असली हकदार किसान ही है। लेकिन इसको फ्रॉड कर बेचा गया, स्टांप चोरी भी हुआ है जिसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई है, कभी इस मिल के अस्तित्व को बचाने और इसको दुबारा चलवाने के लिए मैने विधायक रहते हुए कई बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला, कई बार पत्राचार भी किया लेकिन सरकार ने इस मिल को चालू कराने की कोई इच्छा ही नहीं जताई। आज जब इस मिल की जमीन जो कि किसानों की है उसे प्लाटिंग करके बेचा जा रहा है की जानकारी हुई तो मैं यहां किसानों के साथ आया और उन्हे ये भरोसा दिया कि इस मामले में मैं उनके साथ चट्टान की तरह खड़ा रहूंगा, उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने दूंगा।