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मित्रता हो तो कृष्ण और सुदामा की तरह-आचार्य धरणीधर जी महाराज - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर सन्तकबीरनगर। विकास खंड नाथनगर अन्तर्गत महुली मे आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा में अयोध्या धाम से कथा प्रवक्ता आचार्य धरणी धर जी महाराज ने कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा आचार्य धरणी धर जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस ²श्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इस अवसर पर परशुराम मिश्रा,रामचंद्र मिश्रा,अविनाश मिश्रा,आनंद मिश्रा, सुभाष चंद्र शुक्ला,नीरज मिश्रा,महेंद्र दुबे,जनार्दन दुबे, राजाराम दूबे, दुर्गेश चन्द्र पाण्डेय,नवीन मिश्रा,नीरज मिश्रा,अन्नत दूबे सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

मित्रता हो तो कृष्ण और सुदामा की तरह-आचार्य धरणीधर जी महाराज

 

श्रीमद भागवत कथा में भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर

सन्तकबीरनगर। विकास खंड नाथनगर अन्तर्गत महुली मे आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा में अयोध्या धाम से कथा प्रवक्ता आचार्य धरणी धर जी महाराज ने कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा आचार्य धरणी धर जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस ²श्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इस अवसर पर परशुराम मिश्रा,रामचंद्र मिश्रा,अविनाश मिश्रा,आनंद मिश्रा, सुभाष चंद्र शुक्ला,नीरज मिश्रा,महेंद्र दुबे,जनार्दन दुबे, राजाराम दूबे, दुर्गेश चन्द्र पाण्डेय,नवीन मिश्रा,नीरज मिश्रा,अन्नत दूबे सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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