रिपोर्ट – प्रदीप अग्रहरी
कांटे / संत कबीर नगर – विकास खंड खलीलाबाद क्षेत्र के ग्राम पंचायत सरौली चाहरूम के फूलवरिया मे हो रहे श्रीमद भागवत कथा के के अंतिम दिन कथा ब्यास प्रदीप शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण व जमवंती सत्यभामा के विवाह की कथा सुनाई कथा मे श्री शास्त्री जी महाराज ने बताया की जामवंत जब प्रभु श्रीराम के साथ लंका पर चढ़ाई कर रहे थे तब जामवंत के मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि क्या श्रीराम रावण को हराने में सक्षम हैं और उनकि श्रीराम से द्वंद करने की सोची, अब श्रीराम तो ठहरे अंतरयामी वे उनकी मन की भावना को समझ गए और उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले जन्म में उनकी यह इच्छा भी पूरी होगी। जब भगवान श्री विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया और समयानुसार द्वारका का निर्माण किया। कुछ समय पश्चात् समायंतक मणी जो उनके एक यादव की थी चोरी हो गई और उस यादव जोकि सत्यभामा के पिता थे उन्होंने श्रीकृष्ण पर चोरी का इल्जाम लगाया तो श्रीकृष्ण मणी को ढूंढने चल दिए, मणी को ढूंढते हुए एक जंगल में स्थित गुफा में पहुचे जहां पर जामवंत तपस्या कर रहे थे। अचानक किसी को अपनी गुफा में आया देख क्रोधित हो गए और श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। श्रीकृष्ण तो सब जानते थे, इसलिए उन्होंने युद्ध स्विकार कर लिया और युद्ध आरम्भ हो गया। यह युद्ध एक महिने तक चला जब किसी की भी हार नहीं हुई तो जामवंत ने पुछा की आप कौन हो तो श्रीकृष्ण ने अपना परिचय दिया। परिचय पाते ही जामवंत जी उनके चरणों में गिर पडे़ और उन्होंने श्रीकृष्ण से अपनी पुत्री जांमवंती से विवाह करने की प्रार्थना की जिससे श्रीकृष्ण ने मान लिया इस तरह से जामवंती और श्रीकृष्ण की विवाह हुआ। जिसमे बाल कालाकरो ने भोलू, शुभम, राजमणि, चंद्रमणि आदि झांकी निकाली जिसे देखकर सभी श्रोता मनमोहित हुए इस अवसर पर मुख्य यजमान राजकरन प्रजापति मुख्य आयोजक शिव पल्टन प्रजापति,शिव प्रसाद प्रजापति, बाबूराम प्रजापति, बाबूलाल प्रजापति, रामशंकर तिवारी, रामसेवक प्रजापति शोभनाथ यादव, चंदन पाण्डेय गंगाराम, मुकेश, सुरेंद्र, महेंद्र, दिलीप, प्रदीप, शैलेश, कुलदीप आदि लोग मौजूद रहे।