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हत्यारे पति को आजीवन कारावास : मात्र 08 माह में कोर्ट ने सुनाया फैसला - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि अंबेडकर नगर जनपद के हथीनाराज निवासी शैलेंद्र कुमार ने थाना महुली में प्रार्थना पत्र दिया कि उनकी बड़ी बहन संयोगिता गुप्ता की शादी दिनांक 21.02.2016 को महुली थाना अंतर्गत नगर पंचायत हरिहरपुर के वार्ड संख्या 6 जवाहर नगर के रहने वाले राकेश गुप्ता उर्फ वीरू के साथ हुआ था ।विवाह में उनके परिवार वालों ने अपने हैसियत अनुसार साड़ी ,कपड़ा ,जेवर, नगद रुपया सामान आदि दिए थे तथा विवाह पूरी रीती रिवाज के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिनों के बाद उनके बहनोई राकेश गुप्ता उर्फ वीरू उनकी बहन के ससुर रामनाथ गुप्ता ,सास कुंता देवी दहेज में रुपए की मांग करते थे और उनकी बहन को मारते-पीटते व प्रताड़ित करते थे ।वह और उनके परिवार के लोग कई बार उनके बहनोई को समझाएं बुझाए लेकिन उनके रवैया में कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।दहेज की मांग पूरी न होने पर दिनांक 4 जुलाई 2023 को उनकी बहन के पति राकेश गुप्ता उर्फ वीरू और उनके माता-पिता ने मिलकर उनकी बहन संयोगिता को मारपीट कर उनकी बहन की हत्या कर दिए ।जानकारी मिलने पर वह अपनी बहन के घर आए तो देखें कि उनकी बहन का शव बरामदे में रखा हुआ था ।शैलेंद्र कुमार के प्रार्थना पत्र पर थाना महुली में मुकदमा पंजीकृत हुआ तथा विवेचक द्वारा विवेचना के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया । जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 01.11.2023 को न्यायालय में आरोप विरचित हुआ तथा अभियोजन द्वारा साक्ष्य की कार्रवाई शुरू कराई गई । जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि अभियोजन की तरफ से कुल 9 सक्षियो का साक्ष्य कराया गया तथा सभी ने अभियोजन कथानक का समर्थन किया । चिकित्सीय परीक्षण में मृतका संयोगिता को कुल 20 चोटे आई थी तथा चिकित्सक डॉ आलोक कुमार विश्वकर्मा ने अपने बयान में बताया कि चोटे मारने की वजह से आई थी। सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा प्रथम ने पत्रावली पर उपस्थित साक्ष्य के आधार पर आरोपी पति को अपनी पत्नी संयोगिता के हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाए तथा ₹50000 अर्थ दंड से दंडित किये। अर्थ दंड अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतने की सजा दिए और दंड की आधी धनराशि में से मृतका संयोगिता की तीन बच्चियों को देने का आदेश दिए।

हत्यारे पति को आजीवन कारावास : मात्र 08 माह में कोर्ट ने सुनाया फैसला

 

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि अंबेडकर नगर जनपद के हथीनाराज निवासी शैलेंद्र कुमार ने थाना महुली में प्रार्थना पत्र दिया कि उनकी बड़ी बहन संयोगिता गुप्ता की शादी दिनांक 21.02.2016 को महुली थाना अंतर्गत नगर पंचायत हरिहरपुर के वार्ड संख्या 6 जवाहर नगर के रहने वाले राकेश गुप्ता उर्फ वीरू के साथ हुआ था ।विवाह में उनके परिवार वालों ने अपने हैसियत अनुसार साड़ी ,कपड़ा ,जेवर, नगद रुपया सामान आदि दिए थे तथा विवाह पूरी रीती रिवाज के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिनों के बाद उनके बहनोई राकेश गुप्ता उर्फ वीरू उनकी बहन के ससुर रामनाथ गुप्ता ,सास कुंता देवी दहेज में रुपए की मांग करते थे और उनकी बहन को मारते-पीटते व प्रताड़ित करते थे ।वह और उनके परिवार के लोग कई बार उनके बहनोई को समझाएं बुझाए लेकिन उनके रवैया में कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।दहेज की मांग पूरी न होने पर दिनांक 4 जुलाई 2023 को उनकी बहन के पति राकेश गुप्ता उर्फ वीरू और उनके माता-पिता ने मिलकर उनकी बहन संयोगिता को मारपीट कर उनकी बहन की हत्या कर दिए ।जानकारी मिलने पर वह अपनी बहन के घर आए तो देखें कि उनकी बहन का शव बरामदे में रखा हुआ था ।शैलेंद्र कुमार के प्रार्थना पत्र पर थाना महुली में मुकदमा पंजीकृत हुआ तथा विवेचक द्वारा विवेचना के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया ।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 01.11.2023 को न्यायालय में आरोप विरचित हुआ तथा अभियोजन द्वारा साक्ष्य की कार्रवाई शुरू कराई गई ।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि अभियोजन की तरफ से कुल 9 सक्षियो का साक्ष्य कराया गया तथा सभी ने अभियोजन कथानक का समर्थन किया । चिकित्सीय परीक्षण में मृतका संयोगिता को कुल 20 चोटे आई थी तथा चिकित्सक डॉ आलोक कुमार विश्वकर्मा ने अपने बयान में बताया कि चोटे मारने की वजह से आई थी।
सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा प्रथम ने पत्रावली पर उपस्थित साक्ष्य के आधार पर आरोपी पति को अपनी पत्नी संयोगिता के हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाए तथा ₹50000 अर्थ दंड से दंडित किये। अर्थ दंड अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतने की सजा दिए और दंड की आधी धनराशि में से मृतका संयोगिता की तीन बच्चियों को देने का आदेश दिए।

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