बस्ती– राज्य महिला आयोग की सदस्य इन्द्रवास सिंह व उनकी सहयोगी महिला अधिवक्ता द्वारा एक पीड़ित महिला से रिश्वत मांगने के मामले में मजबूत साक्ष्यों व दोनो पक्षों के बयान के आधार पर खबर चलाने वाले पत्रकार विवेक गुप्ता के खिलाफ आयोग की सदस्य इन्द्रवास सिंह की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। सच को दबाने व मीडिया पर दबाव बनाने के लिय दर्ज किये गये मनगढ़न्त मुकदमे से नाराज पत्रकारों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन मुख्य राजस्व अधिकारी को देकर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग किया है।
पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि मुकदमा वापस नही हुआ या पत्रकार के द्वारा महिला आयोग की सदस्य के खिलाफ दी गयी तहरीर पर मुकदमा न दर्ज हुआ तो निर्णायक संघर्ष छेड़ा जायेगा। ज्ञापन सौंपते समय प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार एवं यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश सचिव जयंत कुमार मिश्रा, सतीश श्रीवास्तव, इमरान अली, विवेक कुमार गुप्ता, संजय विश्वकर्मा, अमर वर्मा, पारसनाथ मौर्य, राघवेन्द्र सिंह, रजनीश तिवारी, मो. कासिफ, अनुराग श्रीवास्तव, रामप्रताप, श्विप्रताप गोस्वामी, रमेश कुमार मिश्रा, वसीम अहमद, मो. आसिफ, साबिर अली, संतोष सिंह गौरव पाण्डेय, जितेन्द्र श्रीवास्तव, इन्द्रजीत, हिफजुर्रहमान, अशोक श्रीवास्तव, राकेश गिरि, वशिष्ठ पाण्डेय, संतोष श्रीवास्तव, विरेन्द्र पाण्डेय आदि मौजूद रहे।
क्या है पूरा मामला…….
भेजे गये ज्ञापन में पीड़ित विवेक कुमार गुप्ता ने कहा है कि उन्होने एक महिला की शिकायत, उसके बयान और वायरल ऑडियो के साथ ही राज्य महिला आयोग के पक्ष के साथ खबर प्रकाशित किया जिसमे पीड़ित महिला से आयोग की सदस्य और उनकी सहयोग अधिवक्ता श्वेता सिंह रिश्वत मांग कर रही हैं। सम्बन्धित ऑडियो में महिला आयोग की सदस्य इन्द्रवास सिंह ने पीड़ित महिला से यह भी कहा है कि आयोग जाओगी तो कुछ नही होगा।
पुलिस पर एकतरफा कार्यवाही का आरोप
उपरोक्त मामले में राज्य महिला आयोग की सदस्य इन्द्रवास सिंह की तहरीर के आधार पर आरोपों का बगैर परीक्षण किये पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया जबकि खबर चलाने से नाराज इन्द्रवास सिंह ने एबी बाजपेई ऑडिटोरियम में पत्रकार के ऊपर सरेआम हमला करवाने, उसकी चार पहिया वाहन को क्षतिग्रस्त किये जाने तथा जान से मारने की धमकी देने के मामले में दी गयी तहरीर को पुलिस ने कूड़ेदान में डाल दिया। आरोप है कि राज्य महिला आयोग की सदस्य की रसूख तले पुलिस ने न्याय का पक्ष छोड़ दिया और एकतरफा कार्यवाही कर मीडिया की आवाज दबाना चाहती है।