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संतकबीरनगर-फसलों को रोग से बचाये जाने के लिए जि0कृ0अ0 ने दी जानकारी - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   संतकबीरनगर। जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल के निर्देश के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी, पी0सी0 विश्वकर्मा ने जनपद के समस्त किसान भाईयों के सूचनार्थ/जानकारी हेतु बताय है कि खरीफ की मुख्य फसल धान में बालियॉ फूॅट रही है। जिसमें विभिन्न प्रकार के रोग/कीट का लक्षण दिख रहा है। जिसके निदान हेतु लक्षण एवं उपचार की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मिथ्या कंण्डुआ रोग एक फफॅूद रोग है इस रोग में धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक के स्पोर लग जाते है। इस रोग को जनपद में हरदिया रोग के नाम से जाना जाता है। इस रोग का लक्षण दिखाई देने पर कापर हाइड्राक्साइड 77 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 02 किग्रा0 मात्रा प्रति हे0 अथवा पिकोसीस्ट्रोबिन 7.05 प्रतिशत और प्रोपिकोनाजोल 11.7 प्रतिशत एस0सी0 की 01 किग्रा0 मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार गन्धीबग कीट का प्रकोप होने पर जो बॉलियों की दुग्धावस्था में दाने वन रहें दूध को चूस कर हानि पहुचातेे है इसके उपचार हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0सी0 की 2.5 ली0 मात्रा प्रति हे0 की दर से 500-600 ली0 पानी में छिड़काव करना चाहिए अथवा इस कीट के रासयनिक नियंत्रण हेतु मैलाथियान 5 प्रतिशत अथवा फेनवेल रेट 0.04 प्रतिशत धूल की 20-25 किग्रा0 मात्रा का प्रति हे0 फसल पर बुरकाव करना चाहिए।     PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI

संतकबीरनगर-फसलों को रोग से बचाये जाने के लिए जि0कृ0अ0 ने दी जानकारी

 

संतकबीरनगर। जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल के निर्देश के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी, पी0सी0 विश्वकर्मा ने जनपद के समस्त किसान भाईयों के सूचनार्थ/जानकारी हेतु बताय है कि खरीफ की मुख्य फसल धान में बालियॉ फूॅट रही है। जिसमें विभिन्न प्रकार के रोग/कीट का लक्षण दिख रहा है। जिसके निदान हेतु लक्षण एवं उपचार की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मिथ्या कंण्डुआ रोग एक फफॅूद रोग है इस रोग में धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक के स्पोर लग जाते है। इस रोग को जनपद में हरदिया रोग के नाम से जाना जाता है। इस रोग का लक्षण दिखाई देने पर कापर हाइड्राक्साइड 77 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 02 किग्रा0 मात्रा प्रति हे0 अथवा पिकोसीस्ट्रोबिन 7.05 प्रतिशत और प्रोपिकोनाजोल 11.7 प्रतिशत एस0सी0 की 01 किग्रा0 मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार गन्धीबग कीट का प्रकोप होने पर जो बॉलियों की दुग्धावस्था में दाने वन रहें दूध को चूस कर हानि पहुचातेे है इसके उपचार हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0सी0 की 2.5 ली0 मात्रा प्रति हे0 की दर से 500-600 ली0 पानी में छिड़काव करना चाहिए अथवा इस कीट के रासयनिक नियंत्रण हेतु मैलाथियान 5 प्रतिशत अथवा फेनवेल रेट 0.04 प्रतिशत धूल की 20-25 किग्रा0 मात्रा का प्रति हे0 फसल पर बुरकाव करना चाहिए।

 

 

PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI

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