संतकबीरनगर जिले की सियासत में वर्चस्व रखने वाले भाजपा के सदर विधायक दिग्विजय नारायण चतुर्वेदी उर्फ जय चौबे आज सपा में शामिल हो गए। जय चौबे का सपा का दामन थामने के मामले को लेकर राजनैतिक पंडितों का ये मानना है कि सदर विधायक के सपा में जाते ही भाजपा जिले में नेतृत्व विहीन हो गयी जिसकी जल्द भरपाई नही की जा सकती है। उनका विकल्प फ़िलहाल कोई नजर नही आ रहा है।। खैर राजनैतिक चिंतकों के मुताबिक यदि बात संतकबीरनगर जिले समेत पूरे पूर्वांचल की करे तो राजनीति के एक बड़े खानदान यानी तिवारी बंधुओ के साथ आज लखनऊ में शामिल हुए सदर विधायक जय चौबे ने एक बार फिर सत्ता के खिलाफ लड़ाई लड़ने की ठानी है। सत्ता के विरूद्ध लड़कर अपने चहेतों को जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख बनाने वाले जय चौबे हनक वाले नेता माने जाते हैं जिनकी पहचान एक लड़का नेता के रूप में की जाती है।पूर्वांचल की राजनीति में तिवारी परिवार के समकक्ष बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने गए जय चौबे का सपा में शामिल होने से जिले की तीनो विधानसभा सीटों पर खासा असर पड़ेगा, खलीलाबाद और धनघटा से भाजपा को 2022 में जहां भारी नुकसान उठाना पड़ेगा वहीं मेंहदावल में भी वो बीजेपी को ज़ोरदार झटका देंगे।जिले की राजनीति में जय चौबे का बड़ा नाम माना जाता है जिन्होंने वर्ष 2017 के चुनाव में जहां खुद विधायक बने वहीं नगर निकाय के चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र के दो नगर क्षेत्रों मगहर और खलीलाबाद में कमल खिलाया था। समर्थक भी उनके यही नारा देते हैं कि जहां जय हैं वही विजय है।समर्थकों के इस नारे और विश्वास को जय चौबे ने कभी टूटने नही दिया, विषम परिस्थितियों में पंचायत चुनाव के दौरान अपने चहेते बलराम यादव को उन्होंने जहां जिले का प्रथम नागरिक यानी जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया वही पूर्व प्रमुख सेमरियावां मुमताज अहमद की मां को सेमरियावां का प्रमुख बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया।खलीलाबाद की राजनीति के मास्टरमाइंड या यूं कहें कि किंगमेकर जय चौबे का सपा में जाना भाजपा की ताबूत में आखिरी कील ठोकने जैसा नजर आ रहा है।इसके साथ ही जय चौबे का सपा में आना समाजवादी पार्टी के लिए शुभ संकेत साबित होता दिख रहा है।